समझ का उजाला November 05, 2025 सुबह के आठ बजे थे। सीमा रसोई में खड़ी पराठे सेंक रही थी। तेल की खुशबू पूरे घर में फैल रही थी, तभी सास उषा देवी ने कमरे से आवाज लगाई — “सीम...Read More
सच का आईना November 05, 2025 सुबह के आठ बजे थे। रसोई से राधा के बर्तनों की खटखट सुनाई दे रही थी। मालती देवी अखबार हाथ में लिए सोफे पर बैठी थीं। तभी राधा की आवाज आई— “म...Read More
ममता का असली मोल November 05, 2025 सुबह के छह बज रहे थे। घर में हल्की-हल्की आवाजें गूंजने लगी थीं। रसोई से चूल्हे की आंच और चाय की महक पूरे आँगन में फैल गई थी। “सविता ओ सवित...Read More
बड़ा घर, छोटी सोच November 05, 2025 सुबह के आठ बजे थे। पूरे घर में अफरा-तफरी मची हुई थी। रसोई में नेहा जल्दी-जल्दी पराठे सेंक रही थी। “नेहा, चाय में शक्कर कम है, ज़रा ठीक कर ...Read More
मेरे सपनों की साड़ी November 05, 2025 "मम्मी जी, इस बार सोच रही हूं करवा चौथ पर लाल रंग की साड़ी ले लूं। पिछली बार तो बस पुरानी साड़ी पहन ली थी, लेकिन इस बार कुछ नया पहनने...Read More
माँ का पहला फोन November 05, 2025"माँ, अब तो आप भी स्मार्टफोन ले लीजिए ना!" अठारह साल के रोहन ने कहा। "अरे बेटा, मुझे कहाँ आता है ये सब चलाना, ये बटनवाले फोन ...Read More
मैं बहू हूँ, गुलाम नहीं November 04, 2025 मेरा नाम सोनाली है। उम्र 29 साल। मैं भोपाल की एक प्राइवेट कंपनी में रिसेप्शनिस्ट के पद पर काम करती हूँ। मेरी मासिक तनख्वाह 28,000 रुपये है...Read More
हक़ का सवाल – एक बहू की आत्मसम्मान की कहानी November 04, 2025 "माँ, मैं सोच रही थी कि अगले हफ्ते पापा को यहाँ बुला लूँ, डॉक्टर ने कहा है कि उन्हें आराम और देखभाल दोनों की ज़रूरत है," नेहा ने...Read More
ममता का आँगन November 04, 2025 नीलम ट्रेन की खिड़की से बाहर झाँक रही थी। पेड़, खेत, और धूप सब पीछे छूटते जा रहे थे, पर उसका मन कहीं अटका हुआ था। पाँच साल बाद वह अपने गाँ...Read More
माँ के हाथ का स्वाद November 04, 2025 "रीना, ज़रा जल्दी-जल्दी काम कर ले, मुझे आज ऑफिस जल्दी निकलना है।" निखिल ने टेबल पर बैठते हुए कहा। रीना ने जल्दी से टोस्ट और चाय ...Read More
सुख का असली ठिकाना November 04, 2025“रीता... अब तो तू शहर में रहती है, बड़ा घर है, सब सुविधा है, कभी गाँव भी चली आ न!” बड़ी बहन कमला दीदी फोन पर बोलीं। “दीदी, गाँव में क्या रखा...Read More
दिल की दीवारें November 04, 2025 आशिमा और रोहन की शादी को अभी दो ही महीने हुए थे। दोनों में बहुत प्यार था — पर इस प्यार के बीच एक दीवार धीरे-धीरे बन रही थी। यह दीवार थी — ...Read More
सेवा और स्वार्थ November 03, 2025 “नैना, अब तो तू खुद डॉक्टर बन गई है, अब शादी के बारे में भी सोच ले” मां ने धीरे से कहा। “मां, मुझे अभी शादी नहीं करनी, मैं पहले कुछ लोगों ...Read More