❛ मां का आँगन ❜ October 30, 2025 सावित्री देवी आज बहुत खुश थीं। बरसों बाद उनका घर फिर से हंसी खुशी से भरने वाला था। कारण भी खास था — उनके दोनों बेटे, विवेक और अमन, अपने-अप...Read More
❝ अपना घर ❞ October 30, 2025 सुबह का वक्त था। शर्मा परिवार के बड़े से आँगन में तुलसी के पौधे के पास धूप की सुनहरी किरणें पड़ रही थी। घर में हर तरफ हँसी और आवाज़ों का श...Read More
❝ वो जो चुप रहती थी ❞ October 29, 2025 रसोई में चूल्हे की धीमी आँच पर दूध उबल रहा था। बाहर बरामदे में सूखे पत्ते हवा से हिल रहे थे। नीलिमा बर्तन धोते-धोते जैसे खो सी गई थी। पानी...Read More
❝ मां का सहारा ❞ October 29, 2025 पिताजी को गुज़रे हुए अब पूरे दो महीने हो चुके थे। घर जैसे अब भी उनके बिना अधूरा लग रहा था। पहले जो घर हंसी और चाय की खुशबू से भरा रहता था,...Read More
❝ आशीर्वाद का मूल्य ❞ October 29, 2025 सुबह के सात बजे थे। रसोई से बर्तन खटकने की आवाज़ आ रही थी। सुनीता धीरे-धीरे रसोई में जा रही थी — उम्र के साठ साल पार कर चुकी थीं, फिर भी र...Read More
❝ अपना-पराया ❞ October 29, 2025 रीमा और आकाश की शादी को बस डेढ़ साल ही हुआ था। दोनों दिल्ली में रहते थे। आकाश एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था और रीमा घर संभालती थी। शाद...Read More
❝ अपनापन का अहसास ❞ October 29, 2025 शर्मा जी का घर शहर के पुराने मोहल्ले में था। बड़ा परिवार था — शर्मा जी, उनकी पत्नी सविता देवी, तीन बेटे और तीनों की पत्नियाँ। घर में बच्चो...Read More
❝ माया की भूल ❞ October 29, 2025 माया एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका थी। पति दीपक शहर के बैंक में काम करते थे। दोनों की जिंदगी बहुत व्यवस्थित और व्यस्त थी। माया की 10 साल क...Read More
❝ सीमा की सच्चाई ❞ October 29, 2025 रीना देवी अपने परिवार के साथ बहुत खुश रहती थीं। पति महेश, बड़ा बेटा अमित, छोटा बेटा सुमित, बड़ी बहू सीमा और छोटी बहू कविता — यही उनका छोटा...Read More
❝ अपनों का मोल ❞ October 28, 2025 सुबह की ठंडी हवा में सुनीता आँगन में झाड़ू लगा रही थी। तभी उसकी सास, सावित्री देवी, बरामदे से बोलीं — “बहु, ज़रा चाय बना देना, सिर में दर्...Read More