मां का आख़िरी खत

November 06, 2025
  सुबह के सात बज रहे थे। रजनी हमेशा की तरह आंगन में झाड़ू लगा रही थी। घर बड़ा था, लेकिन अब उस घर में बस दो ही लोग रहते थे — रजनी और उसका पति...Read More

माँ का तोहफ़ा

November 06, 2025
  सुबह के सात बजे थे। घर में हल्की-हल्की रसोई की खुशबू फैल रही थी। रसोई में से आने वाली आवाज़ों से पता चल रहा था कि आज मम्मी जी बहुत खुश हैं...Read More

थोड़ा वक्त अपने लिए

November 06, 2025
  “यार सीमा, सच कहूँ तो अब बहुत थक गया हूँ।” रवि ने शाम की चाय का कप हाथ में लेते हुए कहा। सीमा ने चौंककर पूछा — “क्यों? आज फिर बॉस ने डाँटा...Read More

एक कप चाय का वादा

November 06, 2025
  सुबह के सात बजे थे। दिल्ली की ठंडी हवा में कोहरा तैर रहा था। रेलवे स्टेशन पर लोगों की भीड़ हमेशा की तरह भाग रही थी — किसी को ट्रेन पकड़नी ...Read More

ममता की नई परिभाषा

November 06, 2025
  संध्या अपने पति आरव के साथ पहली बार ससुराल की चौखट पर कदम रख रही थी। चावल का कलश गिराकर जब उसने घर में प्रवेश किया, तो सबके चेहरों पर खुशी...Read More

समझ का उजाला

November 05, 2025
  सुबह के आठ बजे थे। सीमा रसोई में खड़ी पराठे सेंक रही थी। तेल की खुशबू पूरे घर में फैल रही थी, तभी सास उषा देवी ने कमरे से आवाज लगाई — “सीम...Read More

सच का आईना

November 05, 2025
  सुबह के आठ बजे थे। रसोई से राधा के बर्तनों की खटखट सुनाई दे रही थी। मालती देवी अखबार हाथ में लिए सोफे पर बैठी थीं। तभी राधा की आवाज आई— “म...Read More

ममता का असली मोल

November 05, 2025
  सुबह के छह बज रहे थे। घर में हल्की-हल्की आवाजें गूंजने लगी थीं। रसोई से चूल्हे की आंच और चाय की महक पूरे आँगन में फैल गई थी। “सविता ओ सवित...Read More

बड़ा घर, छोटी सोच

November 05, 2025
  सुबह के आठ बजे थे। पूरे घर में अफरा-तफरी मची हुई थी। रसोई में नेहा जल्दी-जल्दी पराठे सेंक रही थी। “नेहा, चाय में शक्कर कम है, ज़रा ठीक कर ...Read More

मेरे सपनों की साड़ी

November 05, 2025
  "मम्मी जी, इस बार सोच रही हूं करवा चौथ पर लाल रंग की साड़ी ले लूं। पिछली बार तो बस पुरानी साड़ी पहन ली थी, लेकिन इस बार कुछ नया पहनने...Read More
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